भारतीय प्रौद्योगिकी विरासत दीर्घा

जब से इतिहास का उदय हुआ है समस्त विश्व की विभिन्न संस्कृतियों ने संस्कृतियों के आदान-प्रदान से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दुर्भागयवश  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास मुख्यतः पाश्चात्य दृष्टिकोण पर आधारित है जिसने भारत तथा अन्य संस्कृतियों को गौण रखा गया है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से मुख्यतः नगर योजना, नागरिक अभियांत्रिकी, गणित, धातुशोधन, कपड़ा निर्माण, औषध विज्ञान इत्यादि के क्षेत्र में स्वतन्त्र भारतीय प्रौद्योगिकी के योगदान को मुख्य रूप से प्रदर्शित किया गया है।

 

दर्शक देख सकते हैं कि किस प्रकार से जस्ते को गला कर जस्ते को धातु रूप में प्राप्त किया जा सकता है जो उस समय उपलब्ध अन्य तकनीकों द्वारा निषकर्षित नहीं किया जा सकता था।

 

आधुनिक समय में अंतरिक्ष विज्ञान, नाभिकीय विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी, दूर संचार, जैव प्रौद्योगिकी, कृषि तथा खाद्यान्न उत्पन्न ऊर्जा परिवहन इत्यादि को आसानी से प्रदर्शित किया गया है।