क्रोमा प्रमुख टीवी स्टूडियो

इस विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए स्टूडियो में, आगंतुक अपनी आंखों के सामने घटित चीजों को देख सकते हैं, जिसे वे केवल सपना देख सकते हैं। वे खुद को पक्षियों की तरह हवा में उड़ते हुए देख सकते हैं; किसी भी स्मारक, प्रसिद्ध व्यक्तित्व या किसी भी स्थान के साथ खुद की तस्वीर लगाएं जो वे अपने सपनों के सोते में कल्पना करते हैं। आगंतुक न केवल इनका अनुभव कर सकते हैं, बल्कि उन चित्रों के साथ दूर जा सकते हैं, जिन्हें वे अपने निकट और प्रिय के साथ अपने अनुभव को साझा करने के लिए देखते हैं और आनंद लेते हैं।

3-डी फिल्म शो

यह नई जोड़ी गई सुविधा 3-डी में फिल्मों को देखने का एक रोमांचक अनुभव देती है। अत्याधुनिक हाई डेफिनिशन (एचडी) प्रोजेक्शन सिस्टम वास्तविक और जीवन को बनाता है जैसे चित्र स्क्रीन से पॉपिंग होते हैं जो दर्शकों को पूरी तरह से अनुभव प्रदान करते हैं। यह सुविधा एक 50-सीटिंग क्षमता वाला एक वातानुकूलित है, जिसमें एक वैज्ञानिक संदेश के साथ मनोरंजन और रोमांच प्रदान करने की क्षमता है।

विज्ञान उद्यान

यहां पर खेल-खेल में विज्ञान को सिखने के माध्यम से खुली हवा में वृहद् वैज्ञानिक उपकरण उपलब्ध हैं।  विज्ञान उद्यान का उद्देश्य बच्चें को वैज्ञानिक रूप से संशोधित उपकरणों के साथ खेलते हुए इनके पिछे छिपे वैज्ञानिक सिद्वान्तों को जानना है। भागीदारी वाले प्रदर्श खेल-खेल में बच्चों को विज्ञान सीखने को प्रोत्साहित करते हैं तथा प्रकृति सौन्दर्य एवं खुशबु एवं प्राकृतिक वातावरण प्रदान करती है।  इन प्रदर्शों में यान्त्रिकी, ध्वनि, मौसम विज्ञान, उष्मा, गणित, भौगोलिक शास्त्र इत्यादि को अत्यधिक परस्पर ढंग से सीखा जा सकता है।  नवीन रूप से शामिल किये गये भाग में विभिन्न पेड़ पौधों के बारे में रोचक जानकारी जैसे उनके पादपीय तथ्य, मुख्य गुणधर्म, पहचान तथा कुरूक्षेत्र पैनोरमा एवं विज्ञान केन्द्र में तथा आस पास पाये जाने वाले पक्षियों एवं पेड़ पौधों के उपयोगों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

डायनासोर परिक्षेत्र

प्रागएतिहासिक काल की दीर्घा शैलीय तथा विशालकाय डायनासोर तथा उसकी विलुप्त प्रजातियों के माडल को निरूपित करते हैं। डायनासोर मिसोजाईक काल के धरती पर रेंगने वाले मुख्य जन्तु थे।  डायनोसार शब्द ग्रीक भाषा से उत्पन्न हुआ है। जिसका अर्थ है ‘खतरनाक छिपकली‘ तथा यह इंग्लैंड के जैवशास्त्री रिचर्ड आब्न ने 1842 में प्रतिपादित किया। प्राचीन डायनोसार के जीवाश्म अवशेष उपरी ट्राइएसिक काल (230 लाख वर्ष पूर्व) उत्पन्न हुए। ये पृथ्वी पर जुरासिक काल में मुख्यतः थे तथा क्रीटेशियस काल (650 लाख वर्ष पूर्व) तक विलुप्त होने तक रहे। दर्शक उनकी जीवन शैली, खाने-पीने की आदते, आकर, धरती पर उनके अस्तित्व इत्यादि के बारे में इस प्रदर्शनी में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

महाभारत के युध पर आधारित पैनोरमा

 

केन्द्र का मुख्य आकर्षण महाकाव्य महाभारत के युध जो कि कुरूक्षेत्र में लड़ा गया था का जीवंत प्रदर्शन है।  बेलनाकार कक्ष के केन्द्र में खड़े होकर आप 18 दिन तक कौरव और पाण्डवों के मध्य लड़े गये युध का 34 फुट ऊँची चित्रकारी के माध्यम से अवलोकन कर सकते हैं। महाभारत का महाकाव्य 400 इसा पूर्व से 400 इस्वी  के मध्य संग्रहित हुआ था।  इस महाकाव्य में छिट-पुट रूप से वैज्ञानिक महत्त्व को भी प्रदर्शित किया गया है। ये विज्ञान की विभिन्न शाखाओं जैसे खगोलविज्ञान, औषधविज्ञान, रसायनशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, प्राणी विज्ञान, युध कला, भौगोलिक जानकारी इत्यादि से सम्बन्धित थी।  हमारी धरती का भौगोलिक उद्गम, प्राचीन भारत की भौगोलिक स्थिति तथा महाकाव्य के मुख्य पात्र इनको और अधिक बल प्रदान करते हैं।  स्लाईड के माध्यम से प्रदर्शित करके हम यह पता लगा सकते हैं कि किस प्रकार से तथा कब सात महाद्वीपों की धारणा उत्पन्न हुई जिसके प्रारम्भिक उदाहरण रामायण तथा महाभारत तथा पंतजलि के महाभाष्य में पाये जाते हैं जो महाद्वीप-अपवहन की अवधारणा जो अल्फर्ड वैगनर ने 1912 में प्रतिपादित की थी के अनुरूप है। दीर्घा में कम्पयूटर आधारित प्रदर्श दर्शकों को विभिन्न अस्त्रों, युध तथा व्यूह निर्माण, पूर्ण सूर्यग्रहण की प्राचीन लोगों की धारणा इत्यादि को प्रदर्शित करता है। खगोलिय आंकड़ों तथा ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर महाभारत के युध की सम्भावित तिथी को ज्ञात करने का एक प्रयास किया गया है।

 

इस प्रदर्शनी के माध्यम से अस्त्र तथा दिव्यास्त्रों (जो तांबे, कांसे, सोने, पत्थर या मुख्यतः लोहे के बने होते थे यद्यपि दिव्यास्त्रों का मुख्यतः दैविक उद्गम होता था) तथा मिसाइल की विभिन्न प्रकार को प्रदर्शित किया गया है। इस महाकाव्य की काल-क्रम भारत में लौह निर्माण काल के रूप में जाना जाता है।

 

इस प्रदर्शनी के माध्यम से दर्शक युध में प्रयुक्त विभिन्न व्यूह निर्माण कला जिनमें चक्रव्यूह विख्यात है इत्यादि के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकता है।  सेना का आकार व क्रम जो एक अक्षोणी सेना के रूप में निरूपित किया गया था वर्तमान में सेना द्वारा प्रयोग किये जाने वाले क्रम व आकार के काफी सामान है। भगवद्गीता के श्लोकों का उच्चारण तथा युध की चीख पुकार युध के दृश्यों तथा प्रकाशीय प्रभाव के साथ दर्शकों के मष्तिष्क पर युध जैसा वातावरण उत्पन्न करते हैं जो लम्बे समय तक बना रहता है।

मनोंरक विज्ञान दीर्घा

जरा सोचिये बिना तार के पियानो के साथ खेलना कितना अच्छा लगेगा?  आप कैसा अनुभव करेगे यदि खाने की प्लेट में आपके मित्र का शीश (सिर) आपको दिखाई दे?  क्या यह रोमांचकारी नहीं लगेगा यदि आप अपने ही बहुप्रतिबिम्बों के साथ खाने की मेज पर बैठे हों?  जलावर्त का निर्माण कैसे होता है? यदि आपको इन प्रश्नों का उत्तर जानने की चेष्टा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं जहाँ आप प्रयोग कर सकते हैं और उत्तर जान सकते हैं।

 

कुरूक्षेत्र पैनोरमा एवं विज्ञान केन्द्र में आप केवल बटनों को दबाकर तथा उत्तोलक को खींचने मात्र से अपने वैज्ञानिक ज्ञान की प्रश्न क्षुधा को शाँत कर सकते हैं। बड़ी संख्या में, पारस्परिक प्रयोग किये जाने वाले चमत्कारिक एवं आश्चर्यजनक प्रदर्शों का एक समूचा विश्व दर्शकों की यहाँ प्रतीक्षा कर रहा है।

भारतीय प्रौद्योगिकी हेरिटेज गैलरी

इतिहास की सुबह से, दुनिया भर की विभिन्न संस्कृतियों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विभिन्न शाखाओं में योगदान दिया है, अक्सर संस्कृतियों में परस्पर संपर्क के माध्यम से। दुर्भाग्य से, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इतिहास ज्यादातर पश्चिमी परिप्रेक्ष्य के संदर्भ में देखा जाता है, अक्सर भारत सहित अन्य संस्कृतियों के योगदान को देखते हुए।

इस प्रदर्शनी के माध्यम से प्राचीन भारतीय स्वतंत्र योगदान को प्रदर्शित करने के लिए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेष रूप से टाउन प्लानिंग और सिविल इंजीनियरिंग, गणित, धातु विज्ञान, कपड़ा, चिकित्सा आदि के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया गया है।
आगंतुक देख सकते हैं कि धातु के जस्ता प्राप्त करने के लिए जस्ता गलाने का काम कैसे किया जाता था, जो तब उपलब्ध प्रचलित तकनीकों का उपयोग करना बेहद कठिन था।

प्रदर्शनी के आधुनिक समय में, अंतरिक्ष विज्ञान, परमाणु विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, जैव प्रौद्योगिकी, कृषि और खाद्य उत्पादन, ऊर्जा, परिवहन आदि क्षेत्रों में प्रगति को आसानी से समझने योग्य तरीके से दर्शाया गया है।

भारतीय वैज्ञानिक हेरिटेज गैलरी

यह प्रदर्शनी भारतीय विज्ञान की गौरवशाली परंपरा और संस्कृति की 4500 वर्षों की यात्रा का समय बताती है। आगंतुक देख सकते हैं कि विज्ञान प्राचीन भारतीयों का एक महत्वपूर्ण उपदेश कैसे था। हम प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में बीसवीं सदी की सोच के रंगों को पा सकते हैं, जिसमें पदार्थ, परमाणुवाद और ब्रह्मांडीय विकास की अवधारणाओं को पोस्टरिटी के लिए दर्ज किया गया था। गणित, खगोल विज्ञान, ज्यामिति, बीजगणित, और संख्या (दोनों बहुत बड़े और बहुत छोटे जो हजारों वर्षों से भारतीय सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा थे) का मूल रूप इंटरएक्टिव प्रस्तुतियों और दृश्यों का उपयोग करके दर्शाया गया है। इन क्षेत्रों में कुछ सबसे बुनियादी खोजें जैसे भारत में बने गणित, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान, कला और शिल्प आदि, दुनिया के सर्वश्रेष्ठ के समकालीन थे।

3-डी फ़िल्म फैंटसी

 

 

यह नई जोड़ी गई सुविधा 3-डी में फिल्मों को देखने का एक रोमांचक अनुभव देती है। अत्याधुनिक हाई डेफिनिशन (एचडी) प्रोजेक्शन सिस्टम वास्तविक और जीवन को बनाता है जैसे चित्र स्क्रीन से पॉपिंग होते हैं जो दर्शकों को पूरी तरह से अनुभव प्रदान करते हैं। यह सुविधा एक 50-सीटिंग क्षमता वाला एक वातानुकूलित है, जिसमें एक वैज्ञानिक संदेश के साथ मनोरंजन और रोमांच प्रदान करने की क्षमता है।

3-डी मूवी थियेटर में, आगंतुकों को सही परिप्रेक्ष्य में अनुमानों को देखने के लिए 3-डी चश्मा पहनते हैं। वास्तव में, स्क्रीन पर अनुमानित दो छवियां ऐसी छवियां हैं जिन्हें हमारी बाईं और दाईं आंखें अलग-अलग देखती हैं। अनुमानित छवियों के तीन आयामी दृश्य बनाने के लिए 3-डी चश्मे के माध्यम से देखे जाने पर ये एक साथ विलय होते हैं। स्क्रीन से उड़ने और सामने आने वाली वस्तुओं के साथ, और खौफनाक पात्र आपको पकड़ने के लिए, आगंतुकों को वास्तविक अनुभव मिलता है और अनुमानित परिदृश्य का हिस्सा लगता है।